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गाय के दूध, दही, घी, गौबर रस, गौ-मूत्र का एक निश्चित अनुपात में मिश्रण पंचगव्य कहलाता है। मानव शरीर का ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका पंचगव्य से उपचार नहीं हो सकता। पंचगव्य से पापजनित रोग भी नष्ट हो जाते है। यदि उपर्युक्त सूत्रों को एक बार में अथवा एक या दो करके दूरदर्शन आदि प्रसार माध्यमांे के द्वारा लिखा हुआ दिखाया जायें और अन्य विज्ञापनो की तरह दिन में अनेक बार और कुछ लम्बे समय तक विज्ञापनों को जारी रखा जायें तो थोड़े समय में देश में गौ क्रान्ती हो सकती है और यदि गो-दुग्ध सेवन के प्रचार को अधिक महत्त्व दिया जायें तो गौ वध तो अपने आप ही धीरे-धीरे बंद हो जायेंगा।
हमारी इस 'पवित्र भारत भूमि में' प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में गाय और बैल काटे जाते हैं और हम इसके विरोध में अँगुली भी ना उठायें
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