Wednesday 14 October 2015

मेरे लिए स्वराज " स्वयं पर सिर्फ स्वयं की हुकूमत है ,बिना किसी अन्य के प्रभाव में जीने का एक आजाद ख्याल है , एक सम्पूर्ण आजादी का अहसास है । केवल एक कानून नहीं।



कि तारीफे बहुत हुवी , मुझे हकीकत में रहने दो ,मत उछालो आसमा में ,मुझे जमी पे रहने दो। .
तरस मत खा मेरे हाल पर , बस मुझे इसी हाल में रहने दो। घुट रहा हूँ तेरी दुनियां में ,मुझे मेरी दुनिया भी जीने दो।


मैं स्वराज की बात करना चाहता हूँ। जिसके बारे में एक सदी से देश भर में चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन किस दिशा में , कभी स्वराज आंदोलन होता है ,कभी स्वराज अभियान तो कभी स्वराज किसका ये लड़ाई होती हैं लेकिन हर बार बात यही होती हैं की हमें स्वराज कानून चाहिए ,


दोस्तों इस देश में कानून बहुत है , हमें एक और कानून मिल जायेगा तो क्या हो जायेगा। लेकिन मेरे लिए स्वराज " स्वयं पर सिर्फ स्वयं की हुकूमत है ,बिना किसी अन्य के प्रभाव में जीने का एक आजाद ख्याल है , एक सम्पूर्ण आजादी का अहसास है । केवल एक कानून नहीं। 

लेकिन हर बार देश में एक अलग अलग कानून की मांग लेकर लोग आवाज उठाते है और आंदोलन के नाम पर , बदलाव के नाम पर शोहरत पाकर जैसे कहीं अपना पेशा ही बदल लेते हों। एक बार एक आदमी आकर कहता है की लोकपाल की जरूरत है , फिर दूसरा आकर कहता है की आम आदमी को ताकवर होने की जरूरत है , फिर एक आकर कहता है की सबके विकास की जरूत है और हर बार देश का आम आदमी हर आवाज को अपनी पूरी ताकत देता हैं , लेकिन आम आदमी हर बार वहीँ होता हैं। मुझे लगता है हमे सिर्फ खुद के प्रभाव से जीने की जरूरत है ,एक सामाजिक और मानसिक आजादी की जरूत है इसीलिए स्वराज की जरूरत है। हमारे नाम से खाश बनने वालों और हमारी ताकत से अपनी ताकत बढ़ाने वालों के लिए खुद को बदलने की जरूरत है। 

मैं ये सब इसलिए कह रहा हूँ की बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिनको सिर्फ समाज की सोच और स्वराज संवाद ही बदल सकता है।

क्यूंकि जब हम कुछ गलत होते देखते है और उसे बदला जा सकता है , तो किसी न किसी को तो सामने आना पड़ता है , फिर ये फर्क नहीं पड़ता की उसका अंजाम क्या होगा। हम माने या माने लेकिन हम एक रेपिस्ट और एसिड अटकर की शादी बड़ी धूम से करते हैं और इसी समाज से उसको लड़की देतें हैं ये जानते हुवे की इसने जो किया है वो क़त्ल से कहीं बड़ा गुनाह है. अब सोचिए ! हमें क्या चाहिए।






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