Saturday, 2 July 2016

    Gau Rakshak Puraskar (Cow Protector Awards)

    First time honor to cow protectors in India by "Gau Rakshak Samman Puraskar". it's very big event and closely connected to Hinduism . यह सम्मान पत्र किसी स्टेज से नहीं...

    Cow Protection Movement

    What is Bhartiya Gau Raksha Dal? The Bhartiya Gau Raksha Dal was incorporated in the India, March 2010, non-profit, tax-exempt organization. Sh Pawan Pandit and Sh. Naveen Sharma are its...

    Swadeshi Abhiyan

    The Swadeshi movement, part of the Indian independence movement and the developing Indian nationalism, was an economic strategy aimed at removing the British Empire from power and improving economic conditions in...

    Wednesday, 14 October 2015

    मेरे लिए स्वराज " स्वयं पर सिर्फ स्वयं की हुकूमत है ,बिना किसी अन्य के प्रभाव में जीने का एक आजाद ख्याल है , एक सम्पूर्ण आजादी का अहसास है । केवल एक कानून नहीं।



    कि तारीफे बहुत हुवी , मुझे हकीकत में रहने दो ,मत उछालो आसमा में ,मुझे जमी पे रहने दो। .
    तरस मत खा मेरे हाल पर , बस मुझे इसी हाल में रहने दो। घुट रहा हूँ तेरी दुनियां में ,मुझे मेरी दुनिया भी जीने दो।


    मैं स्वराज की बात करना चाहता हूँ। जिसके बारे में एक सदी से देश भर में चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन किस दिशा में , कभी स्वराज आंदोलन होता है ,कभी स्वराज अभियान तो कभी स्वराज किसका ये लड़ाई होती हैं लेकिन हर बार बात यही होती हैं की हमें स्वराज कानून चाहिए ,


    दोस्तों इस देश में कानून बहुत है , हमें एक और कानून मिल जायेगा तो क्या हो जायेगा। लेकिन मेरे लिए स्वराज " स्वयं पर सिर्फ स्वयं की हुकूमत है ,बिना किसी अन्य के प्रभाव में जीने का एक आजाद ख्याल है , एक सम्पूर्ण आजादी का अहसास है । केवल एक कानून नहीं। 

    लेकिन हर बार देश में एक अलग अलग कानून की मांग लेकर लोग आवाज उठाते है और आंदोलन के नाम पर , बदलाव के नाम पर शोहरत पाकर जैसे कहीं अपना पेशा ही बदल लेते हों। एक बार एक आदमी आकर कहता है की लोकपाल की जरूरत है , फिर दूसरा आकर कहता है की आम आदमी को ताकवर होने की जरूरत है , फिर एक आकर कहता है की सबके विकास की जरूत है और हर बार देश का आम आदमी हर आवाज को अपनी पूरी ताकत देता हैं , लेकिन आम आदमी हर बार वहीँ होता हैं। मुझे लगता है हमे सिर्फ खुद के प्रभाव से जीने की जरूरत है ,एक सामाजिक और मानसिक आजादी की जरूत है इसीलिए स्वराज की जरूरत है। हमारे नाम से खाश बनने वालों और हमारी ताकत से अपनी ताकत बढ़ाने वालों के लिए खुद को बदलने की जरूरत है। 

    मैं ये सब इसलिए कह रहा हूँ की बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिनको सिर्फ समाज की सोच और स्वराज संवाद ही बदल सकता है।

    क्यूंकि जब हम कुछ गलत होते देखते है और उसे बदला जा सकता है , तो किसी न किसी को तो सामने आना पड़ता है , फिर ये फर्क नहीं पड़ता की उसका अंजाम क्या होगा। हम माने या माने लेकिन हम एक रेपिस्ट और एसिड अटकर की शादी बड़ी धूम से करते हैं और इसी समाज से उसको लड़की देतें हैं ये जानते हुवे की इसने जो किया है वो क़त्ल से कहीं बड़ा गुनाह है. अब सोचिए ! हमें क्या चाहिए।






    भारतीय गौ रक्षा दल समस्त गौ पुत्रों एवं गौ भक्तों का सम्लित प्रयासों के लिए आवाहन कर रहा है। आओ सब मिलकर इस यज्ञ में आहुति डालें। सभी देश भक्त " हर हर गाय -घर घर गाय " का नारा बुलंद करें।



    हर देश भक्त के ह्रदय में एक नारे को अंकित करने जा रहा हैं, भारतीय गौ रक्षा दल। वह नारा हैं 'हर हर गाय -घर घर गाय'। हमारी भारतीय सभ्यता दस हज़ार वर्षों पुरानी है। हमारें पूर्वजों ने ही संसार को मनुष्यता सिखाई। विज्ञानं का प्रारंभ हमारें ऋषियों ने ही किया था । पुराणिक काल में अनेक विज्ञानिक शोध हुए। जिन को आधार मान कर मनुष्य के लिए मानवीय मूल्यों का निधारण किया गया। तथा उनमें जीव हत्या को महा अपराध माना गया। तथा उसमे भी दूध देने वाले पशु की हत्या घोर अपराध मानी गयी। गाय पे हुए शोधों के कारण भारतीय जन-मानस ने गाय को गौ माता कह कर पूजना प्रारंभ किया। जो करूर मानव गौ मॉस खाते रहे उन्हें दानव अथवा राक्षस की संज्ञा दी गयी। इन ही दैत्यों का विनाश भरत खंड के बहुत बड़े भू-भाग से मर्यादा पुरषोतम श्री राम चन्द्र जी ने किया। और जब राम राज्य का उदय हुआ तो हिमालय से लेके लंका,महिलाका , बाली, इत्यादि सहस्त्रों द्वीपों और समस्त भरत खंड में गौ हत्या पर निषेद लगा। योगेश्वर श्री कृष्ण ने भी एक ऊँगली पर पहाड़ उठा कर गौ रक्षा की। गौ रक्षा का आदर्श स्थापित करने के कारण ही उन्हें गोविन्द कहा जाता हैं। समय समय पर आस्था के क्षितिज पर भारत वर्ष में अनेक क्रांतियाँ हुई। तथागत बुध , वर्धमान महावीर, आदि गुरु शंकराचार्य , रामानुजाचार्य , माधवाचार्य ,इत्यादि इत्यादि अनेक महापुरुषों ने भांति भांति की साधना - उपासना पद्धतियाँ भारत के जन मानस को सिखाई। उन सभी पंथो , मतों , सम्प्रदायों में गौ माता को पूजनीय और अराधनिये माना गया। कालांतर में इस भरत खंड पर अनेक आकर्मण हुए। यवन, शक, हूण,अहोम और मनक्या,इत्यादि ने जब यहाँ शासन करना चाहा तो 

    स्थानीय परम्पराओं को अपनाया तथा गौ हत्या पर निषेद लगाया। फिर अरब आए ,तुर्क आए , अपनी सत्ता भारत पर स्थिर नहीं कर पाए। पठानो ने उन्हें हटा कर अपना शासन दिल्ली पर लाया और गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया। फिर मुग़लों का आकर्मण हुआ। बाबर ने मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की। उसकी समझ में भी बात आई और उसने अपने बेटे हुमायूँ से कहा की यदि तुम्हें भारत पर राज करना हैं, तो गौ हत्या पर प्रतिबंध रखना पड़ेगा। इस का उलेख बाबर द्वारा रचित पुस्तक बाबरनामा में मिलता हैं। जब मुग़ल काल में क्रूरता की अति हो गयी तब भी गौ हत्या पर प्रतिबंध रहा। औरंगजेब जैसा महानीच भी सत्ता में रहते हुए भी , कभी गौ हत्या से प्रतिबंध नहीं हटा पाया।

    भारत के अंतिम सम्राट बहादुर शाह ज़फर 2 ने भी अपने अंतिम फरमान में कहा की गौ हत्या भारत वर्ष में नहीं होनी चाहिए। परन्तु यह क्या हो रहा हैं, मोदी शासन में भारत बीफ निर्यात में प्रथम राष्ट्र का स्तर पा चूका हैं। हमारी इस 'पवित्र भारत भूमि में' प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में गाय और बैल काटे जाते हैं और हम इसके विरोध में अँगुली भी ना उठायें। 

    समय समय पर गौ रक्षा हेतु कई अभियान चलते रहें हैं। क्या हिमाचल क्या केरल, हर प्रान्त में गौ रक्षा हेतु अनेक छोटे बड़े संग़ठन बने हुए हैं। पर हम गौ भक्तों को सफलता नहीं मिल रही है। भारतीय गौ रक्षा दल समस्त गौ पुत्रों एवं गौ भक्तों का सम्लित प्रयासों के लिए आवाहन कर रहा है। आओ सब मिलकर इस यज्ञ में आहुति डालें। सभी देश भक्त " हर हर गाय -घर घर गाय " का नारा बुलंद करें। 
    हमारा अभियान सर्वप्रथम दिल्ली से प्रारम्भ किया जायेगा। देश की राजधानी होने के कारण ये आवश्यक हैं कि सारे देश में गौ रक्षा का सन्देश दिल्ली से ही दिया जाए। इस के लिए हम सरकार तथा उपराज्यपाल से यह मांग करेंगे की दिल्ली में गौ हत्या पर प्रतिबंध लगे।

    दूसरें चरण में हम केंद्र सरकार से मांग करेंगे की गौ हत्या को भारतीय दंड सहिंता की धारा 302 के अंतर्गत लाया जाए। तथा गाय को राष्ट्र माता का सम्मान दिया जाये।

    देश भक्त हैं तो " हर हर गाय -घर घर गाय " का नारा बुलंद करें





    देश भक्त हैं तो " हर हर गाय -घर घर गाय " का नारा बुलंद करें। गाय पालन के फायदे बताएं , आज ज़ी न्यूज़ ने भी एक बड़ी पहल की है 

    गाय के दूध, दही, घी, गौबर रस, गौ-मूत्र का एक निश्चित अनुपात में मिश्रण पंचगव्य कहलाता है। मानव शरीर का ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका पंचगव्य से उपचार नहीं हो सकता। पंचगव्य से पापजनित रोग भी नष्ट हो जाते है। यदि उपर्युक्त सूत्रों को एक बार में अथवा एक या दो करके दूरदर्शन आदि प्रसार माध्यमांे के द्वारा लिखा हुआ दिखाया जायें और अन्य विज्ञापनो की तरह दिन में अनेक बार और कुछ लम्बे समय तक विज्ञापनों को जारी रखा जायें तो थोड़े समय में देश में गौ क्रान्ती हो सकती है और यदि गो-दुग्ध सेवन के प्रचार को अधिक महत्त्व दिया जायें तो गौ वध तो अपने आप ही धीरे-धीरे बंद हो जायेंगा।
    हमारी इस 'पवित्र भारत भूमि में' प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों की संख्या में गाय और बैल काटे जाते हैं और हम इसके विरोध में अँगुली भी ना उठायें

    ये सिर्फ गौ हत्या नहीं ,एक देवी कि हत्या है ,राष्ट्र माता की हत्या है -पवन पंडित

    वेदों में ‘गोघ्न‘ या गायों के वध के संदर्भ हैं और गाय का मांस परोसने वाले को महापापी और अति दुष्ट कहा गया है वेदों में गाय को अघन्या या...

    Thursday, 6 February 2014

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